Thursday, September 11, 2008

!!.....तेरे और करीब ....!!


फिर दिल ने आज, किया इरादा,

तूझे भूलाना, दिल से हैं वादा ।

नहीं जानता, ये सही हैं या गलत,

खुद को फसांना बस यही हैं चाहत ।



क्यों जिदंगी, तेरे सजदे में बर्बाद हो,

एक बेगैरत के लिये तबाह हो,

जिदंगी के मायने और भी होगें,

सफर में हमदम और भी होगें ।


पर, पता नहीं क्यों.........


तूझे भूल पाऊ ये होगा नहीं,

तू हकीकत है, कोई ख्वाब नहीं।

इन आखों से आसूं निकल आते हैं,

जब साथ बिते दिन याद आते हैं ।



मैं तूझे भूल जाऊ ये मुमकीन नहीं,

जुदा हो, कलेजा जिगर से,मुमकीन नहीं ।

जब ये नाकाम कोशिश होती हैं,

तू मेरे दिल के और ज्यादा करीब होती हैं ।



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